कक्षा पांचवी के पाठ 1 "पुष्प की अभिलाषा" पाठ से संबंधित विभिन्न प्रकार के प्रतियोगिता परीक्षा में भी प्रश्न पूछे जाते हैं। सबसे पहले क्रम पर यहां पूर्ण प्रश्नों का विवरण दिया गया है। इसके पश्चात नीचे पाठ पुष्प की अभिलाषा : माखनलाल चतुर्वेदी की कविता का संपूर्ण विश्लेषण और व्याख्या एवं संपूर्ण अभ्यास की जानकारी दी गई है।
प्रतियोगिता परीक्षा हेतु प्रश्न
कॉम्पिटेटिव एक्जाम समय इस पाठ से कुछ प्रश्न पूछे जा सकते हैं जो साहित्यिक समझ, व्याकरण और ऐतिहासिक संदर्भ पर आधारित प्रश्न हो सकते हैं। ये प्रश्न वस्तुनिष्ठ (Objective) प्रकार के होते हैं।
यहाँ कुछ संभावित प्रश्न दिए गए हैं जो इस कविता से विभिन्न परीक्षाओं में पूछे जा सकते हैं :—
कवि और कविता से संबंधित प्रश्न
ये प्रश्न कवि और कविता के सामान्य परिचय पर आधारित होते हैं।
प्रश्न 1. 'पुष्प की अभिलाषा' कविता के रचयिता कौन हैं?
(क) रामधारी सिंह 'दिनकर'
(ख) सुभद्रा कुमारी चौहान
(ग) माखनलाल चतुर्वेदी
(घ) सोहनलाल द्विवेदी
उत्तर — (ग) माखनलाल चतुर्वेदी
प्रश्न 2. माखनलाल चतुर्वेदी को किस उपनाम से भी जाना जाता है?
(क) राष्ट्रकवि
(ख) साहित्य देवता
(ग) एक भारतीय आत्मा
(घ) कलम का सिपाही
उत्तर — (ग) एक भारतीय आत्मा
भावार्थ और मूल संदेश से संबंधित प्रश्न
ये प्रश्न कविता के केंद्रीय भाव और संदेश की गहन समझ पर आधारित होते हैं।
प्रश्न 3. कविता में 'पुष्प' किस भावना का प्रतीक है?
(क) सौंदर्य
(ख) प्रेम
(ग) धार्मिकता
(घ) बलिदान और देशभक्ति
उत्तर — (घ) बलिदान और देशभक्ति
प्रश्न 4. पुष्प की 'अभिलाषा' क्या नहीं है?
(क) सम्राटों के शवों पर चढ़ाया जाना
(ख) प्रेमी-माला में गूँथा जाना
(ग) देवों के सिर पर चढ़ना
(घ) उपर्युक्त सभी
उत्तर — (घ) उपर्युक्त सभी
व्याकरण और भाषा से संबंधित प्रश्न
इन प्रश्नों में व्याकरण के नियमों, शब्दों के प्रकार और भाषाई विशेषताओं को परखा जाता है।
प्रश्न 5. "उस पथ पर तुम देना फेंक" पंक्ति में 'फेंक' किस प्रकार की क्रिया है?
(क) सकर्मक क्रिया
(ख) प्रेरणार्थक क्रिया
(ग) अकर्मक क्रिया
(घ) द्विकर्मक क्रिया
उत्तर — (क) सकर्मक क्रिया
प्रश्न 6. "पुष्प की अभिलाषा" में कौन सा अलंकार है?
(क) उपमा
(ख) रूपक
(ग) मानवीकरण
(घ) अनुप्रास
उत्तर — (ग) मानवीकरण
प्रश्न 7. 'मातृभूमि' शब्द में कौन सा समास है?
(क) द्वंद्व समास
(ख) कर्मधारय समास
(ग) तत्पुरुष समास
(घ) बहुव्रीहि समास
उत्तर — (ग) तत्पुरुष समास
साहित्यिक और ऐतिहासिक संदर्भ से संबंधित प्रश्न
ये प्रश्न कविता को उसके ऐतिहासिक और साहित्यिक पृष्ठभूमि से जोड़कर पूछे जाते हैं।
प्रश्न 8. 'पुष्प की अभिलाषा' कविता किस काल में लिखी गई थी?
(क) भक्ति काल
(ख) रीतिकाल
(ग) स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान
(घ) छायावाद के बाद
उत्तर — (ग) स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान
प्रश्न 9. यह कविता माखनलाल चतुर्वेदी की किस जेल यात्रा के दौरान लिखी गई थी?
(क) नागपुर जेल
(ख) यरवदा जेल
(ग) बिलासपुर जेल
(घ) सेल्यूलर जेल
उत्तर — (ग) बिलासपुर जेल
पाठ से संबंधित संपूर्ण जानकारी
पाठ 1 पुष्प की अभिलाषा
आइए सीखें : देश प्रेम, त्याग और बलिदान की भावना का विकास। संदर्भ सहित भावार्थ लिखना। पर्यायवाची शब्दों का ज्ञान। शुद्ध वर्तनी का अभ्यास। संज्ञा और क्रिया की पहचान।
चाह नहीं मैं सुरबाला के,
गहनों में गूँथा जाऊँ।
चाह नहीं प्रेमी माला में,
बिंध प्यारी को ललचाऊँ।
चाह नहीं सम्राटों के शव,
पर, हे हरि, डाला जाऊँ।
चाह नहीं, देवों के सिर पर,
चढूँ, भाग्य पर इठलाऊँ।
मुझे तोड़ लेना वनमाली,
उस पथ पर तुम देना फेंक।
मातृभूमि पर शीश चढ़ाने,
जिस पथ जाएँ वीर अनेक।
- माखनलाल चतुर्वेदी
शिक्षण संकेत : कविता का हाव-भाव के साथ एकल तथा सामूहिक सस्वर पाठ कराएँ। कविता का सन्दर्भ लिखने के विषय में जानकारी दें। कठिन शब्दों के अर्थ वाक्य प्रयोग द्वारा समझाएँ। बच्चों के सहयोग से कविता के भाव स्पष्ट करें।
कवि परिचय - माखनलाल चतुर्वेदी का जन्म 4 अप्रैल 1889 ई. को म.प्र. के होशंगाबाद जिले के बाबई नामक स्थान में हुआ था आपने' प्रभा' व 'कर्मबीर' नामक पत्रिका का सम्पादन किया। आपकी रचनाओं में कृष्णार्जुन युद्ध, हिमकिरीटिनी, साहित्य देवता, हिमतरंगिनी, युगचरण, समर्पण आदि प्रमुख है।
पंक्तियों की संदर्भ एवं प्रसंग सहित व्याख्या
पंक्तियाँ :—
चाह नहीं मैं सुरबाला के,
गहनों में गूँथा जाऊँ।
चाह नहीं प्रेमी माला में,
बिंध प्यारी को ललचाऊँ।
संदर्भ :—
यह पंक्तियाँ प्रसिद्ध कवि माखनलाल चतुर्वेदी द्वारा रचित कविता 'पुष्प की अभिलाषा' से ली गई हैं। इन पंक्तियों में, कवि ने एक पुष्प के माध्यम से देशप्रेम और बलिदान की भावना को दर्शाया है।
प्रसंग :—
यहां एक पुष्प अपनी इच्छा व्यक्त कर रहा है। वह अपनी सामान्य और पारंपरिक इच्छाओं को त्यागकर एक विशेष उद्देश्य के लिए खुद को समर्पित करने की बात कर रहा है। वह अपनी सुंदरता का उपयोग सांसारिक सुखों के लिए नहीं करना चाहता।
व्याख्या :—
पुष्प कहता है कि उसकी यह इच्छा बिल्कुल नहीं है कि वह स्वर्ग की अप्सराओं के गहनों में गूंथा जाए या प्रेमी-प्रेमिकाओं की माला का हिस्सा बनकर किसी को लुभाए। इन पंक्तियों में, फूल अपनी सुंदरता और मूल्य को सामान्य उपयोगों से ऊपर उठा रहा है। वह प्रेम और श्रृंगार से जुड़े जीवन को त्यागकर एक उच्चतर उद्देश्य की तलाश में है।
पंक्तियाँ :—
चाह नहीं सम्राटों के शव,
पर, हे हरि, डाला जाऊँ।
चाह नहीं, देवों के सिर पर,
चढूँ, भाग्य पर इठलाऊँ।
संदर्भ :—
यह पंक्तियाँ भी माखनलाल चतुर्वेदी की कविता 'पुष्प की अभिलाषा' से ली गई हैं, जो एक फूल के माध्यम से राष्ट्रीयता और बलिदान की भावना को प्रस्तुत करती हैं।
प्रसंग :—
इन पंक्तियों में, फूल अपनी इच्छा को और अधिक स्पष्ट करता है। वह अपनी पवित्रता और महत्व को उन स्थानों से भी ऊपर रखता है जो सामान्यतः सम्माननीय माने जाते हैं, जैसे कि राजाओं का सम्मान और देवताओं की पूजा।
व्याख्या :—
पुष्प ईश्वर से प्रार्थना करता है कि उसकी यह भी इच्छा नहीं है कि उसे शक्तिशाली राजाओं और सम्राटों के शवों पर चढ़ाया जाए, जिससे उसे सम्मान मिले। वह यह भी नहीं चाहता कि उसे देवताओं की मूर्तियों पर चढ़ाया जाए और वह अपने इस सौभाग्य पर गर्व करे। इन पंक्तियों में, कवि यह दर्शाता है कि सच्चा सम्मान सांसारिक प्रतिष्ठा या धार्मिक महत्व से नहीं, बल्कि देश के प्रति समर्पण से मिलता है।
पंक्तियाँ :—
मुझे तोड़ लेना वनमाली,
उस पथ पर तुम देना फेंक।
मातृभूमि पर शीश चढ़ाने,
जिस पथ जाएँ वीर अनेक।
संदर्भ :—
यह पंक्तियाँ भी 'पुष्प की अभिलाषा' कविता से हैं और कविता का सार प्रस्तुत करती हैं। इनमें फूल की अंतिम और सबसे महत्वपूर्ण इच्छा को व्यक्त किया गया है।
प्रसंग :—
यह अंश कविता का सबसे महत्वपूर्ण भाग है, जहां फूल अपनी वास्तविक और अंतिम इच्छा बताता है। वह माली से कहता है कि उसे कहाँ और किस लिए उपयोग किया जाना चाहिए।
व्याख्या :—
इन पंक्तियों में, फूल माली से विनती करता है कि वह उसे तोड़कर उस रास्ते पर फेंक दे जहाँ से मातृभूमि की रक्षा के लिए अनेक वीर सैनिक बलिदान देने के लिए जा रहे हैं। फूल चाहता है कि वह उन वीरों के पैरों तले आकर अपने जीवन को सार्थक करे। वह अपनी सुंदरता या पवित्रता से नहीं, बल्कि देश के लिए बलिदान देने वालों के मार्ग का हिस्सा बनकर ही गर्व महसूस करता है। यह अंश कविता के देशभक्ति के मूल संदेश को सबसे स्पष्ट रूप से प्रस्तुत करता है।
अभ्यास
बोध प्रश्न
1. निम्नांकित शब्दों के अर्थ शब्दकोश से खोजकर लिखिए ―
सुरबाला = देवकन्या।
पथ = राह, रास्ता।
बिंध = पिरोना, बॅंधना।
शीश = सिर।
सम्राट = राजा।
शव = मृतक शरीर, लाश।
इठलाना = ठसक बताना, इतराना, ऐंठना।
2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए —
(क) देवों के सिर पर चढ़ने के बाद पुष्प के कौन से भाव व्यक्त होते हैं?
उत्तर — कविता में, पुष्प देवों के सिर पर चढ़कर अपने भाग्य पर इठलाने (गर्व करने) की इच्छा व्यक्त नहीं करता है। वह इसे एक सामान्य सम्मान मानता है और इस प्रकार के अहंकार से बचना चाहता है। वह जानता है कि सच्चा सम्मान देवताओं पर चढ़ने से नहीं, बल्कि देश के लिए बलिदान देने वाले वीरों के रास्ते का हिस्सा बनने से मिलता है।
(ख) पुष्प वनमाली से क्या कह रहा है?
उत्तर — पुष्प वनमाली से यह कह रहा है कि वह उसे तोड़ ले और उस रास्ते पर फेंक दे, जिस पर हमारी मातृभूमि की रक्षा करने वाले अनेक वीर सैनिक अपने प्राणों का बलिदान देने के लिए जा रहे हैं।
(ग) पुष्प अपनी राष्ट्रीय-भावना किस प्रकार व्यक्त करना चाहता है?
उत्तर — पुष्प अपनी राष्ट्रीय-भावना को देश के वीरों के चरणों में आकर व्यक्त करना चाहता है। वह चाहता है कि उसका उपयोग किसी देवी-देवता को चढ़ाने या किसी सम्राट के शव पर चढ़ने के बजाय, उन देशभक्तों के रास्ते पर बिछाया जाए जो देश के लिए अपना जीवन न्योछावर करने जा रहे हैं। इस तरह, वह अपने आप को मातृभूमि के लिए समर्पित करके अपनी देशभक्ति दिखाता है।
(घ) पुष्प ने कहाँ-कहाँ नहीं चढ़ने की इच्छा व्यक्त की है?
उत्तर — पुष्प ने निम्नलिखित स्थानों पर नहीं चढ़ने की इच्छा व्यक्त की है—
सुरबालाओं (देव कन्याओं) के गहनों में गूंथा जाना।
प्रेमी-माला में बिंधकर किसी प्यारी को ललचाना।
सम्राटों के शवों पर चढ़ाया जाना।
देवों के सिर पर चढ़ना।
3. निम्नलिखित पंक्तियों को पढ़कर नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर दीजिए :—
मुझे तोड़ लेना वनमाली, उस पथ पर तुम देना फेंक।
मातृभूमि पर शीश चढ़ाने, जिस पथ जाएँ वीर अनेक ॥
(क) कविता के कवि का नाम लिखिए।
उत्तर — इस कविता के कवि का नाम माखनलाल चतुर्वेदी है।
(ख) यह कविता किस पाठ्यपुस्तक से ली गई है? उसका नाम लिखिए।
उत्तर — यह कविता विभिन्न हिंदी पाठ्यपुस्तकों का हिस्सा है, जैसे "बसंत" या अन्य।
(ग) इस कविता के पाठ का नाम (शीर्षक) क्या है? लिखिए।
उत्तर — इस कविता के पाठ का नाम (शीर्षक) 'पुष्प की अभिलाषा' है।
(घ) कविता की मुख्य भावना क्या है?
उत्तर — इस कविता की मुख्य भावना देशभक्ति और बलिदान है। पुष्प अपनी इच्छा व्यक्त करता है कि वह किसी भी सांसारिक सम्मान या महत्व की बजाय, मातृभूमि के लिए अपना जीवन न्योछावर करने वाले वीरों के रास्ते पर बिछकर खुद को सार्थक करना चाहता है। यह कविता हमें सिखाती है कि सच्चा सम्मान और गौरव स्वयं को देश सेवा में समर्पित करने में निहित है।
प्रश्न 4. आप पुष्प को कहाँ कहाँ ले जाना चाहते हैं? पुष्प और स्थान को रेखा से मिलाइए।
नीचे 👇जानकारी से संबंधित चित्र का अवलोकन करें।
भाषा अध्ययन
1. निम्नलिखित शब्दों के उच्चारण कीजिए और उन्हें वाक्यों में प्रयोग कीजिए —
सुरबाला, सम्राट, भाग्य, मातृभूमि, गूँथना, शव।
1. सुरबाला
उच्चारण : सु-र-बा-ला
अर्थ : स्वर्ग की अप्सरा
वाक्य में प्रयोग : "पुष्प ने कहा कि उसे सुरबाला के गहनों में गूँथा जाना पसंद नहीं है।"
2. सम्राट
उच्चारण : स-म्रा-ट
अर्थ : राजाओं का राजा, बादशाह
वाक्य में प्रयोग : "चंद्रगुप्त मौर्य एक महान सम्राट थे।"
3. भाग्य
उच्चारण : भा-ग्य
अर्थ : किस्मत, तकदीर
वाक्य में प्रयोग : "मेहनत से ही भाग्य बदला जा सकता है।"
4. मातृभूमि
उच्चारण : मा-तृ-भू-मि
अर्थ : जन्मभूमि, अपना देश
वाक्य में प्रयोग : "हमें अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए।"
5. गूँथना
उच्चारण : गूँ-थ-ना
अर्थ: फूलों या धागों को जोड़कर माला बनाना
वाक्य में प्रयोग : "माली ने फूलों को तोड़कर माला में गूँथना शुरू किया।"
6. शव
उच्चारण : श-व
अर्थ : मृत शरीर
वाक्य में प्रयोग : "युद्ध के मैदान में अनेक वीरों के शव पड़े थे।"
2. दिए गए शब्दों के पर्यायवाची शब्द चौखाने में से छाँटकर लिखिए—
नीर, धरती, वसुधा, सुमन, जलद, जल,
कुसुम, रवि, शशि, चन्द्रमा, दिनकर, मेघ
| शब्द | पर्यायवाची शब्द |
|---|---|
| पानी | जल, नीर |
| बादल | जलद, मेघ |
| पृथ्वी | धरती, वसुधा |
| सूर्य | रवि, दिनकर |
| फूल | सुमन, कुसुम |
| चन्द्र | शशि, चन्द्रमा |
3. निम्नलिखित शब्दों के शुद्ध रूप लिखिए —
समराट, मात्रभूमि, गूंथा, बनमानि, पैंथ, सीस, शिर।
| अशुद्ध शब्द | शुद्ध शब्द |
|---|---|
| समराट | सम्राट |
| मात्रभूमि | मातृभूमि |
| गूंथा | गूँथा |
| बनमानि | वनमाली |
| पैंथ | पंथ |
| सीस | शीश |
| शिर | सिर |
4. निम्नलिखित में से संज्ञा और क्रिया शब्द छाँटकर अलग-अलग लिखिए —
सुरबाला, पुष्प, चाहना, गूँथा, ललचाऊँ, हरि, देव, सिर, चहूँ, इठलाऊँ, वनमाली।
| संज्ञा | क्रिया |
|---|---|
| सुरबाला | चाहना |
| पुष्प | गूँथा |
| हरि | ललचाऊँ |
| देव | चढ़ूँ |
| सिर | इठलाऊँ |
| वनमाली |
योग्यता विस्तार
1. देश के लिए अपना जीवन न्यौछावर करने वाले वीरों की सूची
यहाँ भारत के कुछ ऐसे वीरों की सूची दी गई है जिन्होंने देश के लिए अपना जीवन न्यौछावर कर दिया:
- भगत सिंह: भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी जिन्होंने देश के लिए हंसते-हंसते फांसी का फंदा चूम लिया।
- सुभाष चंद्र बोस: 'तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा' का नारा देने वाले वीर जिन्होंने अपनी सेना 'आजाद हिंद फौज' से अंग्रेजों को कड़ी चुनौती दी।
- रानी लक्ष्मीबाई: 1857 के स्वतंत्रता संग्राम की वीरांगना जिन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई में अपनी जान दे दी।
- चंद्रशेखर आजाद: महान क्रांतिकारी जिन्होंने अंग्रेजों के हाथों मरने की बजाय खुद को गोली मार ली।
- शहीद हेमू कालाणी: मात्र 19 वर्ष की उम्र में अंग्रेजों ने उन्हें फांसी दी।
- अशफाक उल्ला खां: काकोरी कांड के लिए फांसी पर चढ़ने वाले महान देशभक्त।
- कैप्टन विक्रम बत्रा: कारगिल युद्ध के हीरो, जिन्हें उनकी बहादुरी के लिए परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया।
2. त्याग और बलिदान से संबंधित कविताएँ
विद्यार्थीगण इन कविताओं को अपनी कक्षा में सुना सकते हैं :—
- 'झाँसी की रानी' - सुभद्रा कुमारी चौहान
- 'वीरों का कैसा हो वसंत' - सुभद्रा कुमारी चौहान
- 'आओ झुककर सलाम करें उनको' - कवि अज्ञात
- 'विजयी विश्व तिरंगा प्यारा' - श्यामलाल गुप्त पार्षद
3. अपने आस-पास पाए जाने वाले फूलों की सूची
आपके आस-पास ये फूल मिल सकते हैं:
- गुलाब
- गेंदा
- चमेली
- कमल
- गुड़हल
- सूरजमुखी
- बेला
- रात रानी
4. पुष्प पर कुछ पंक्तियाँ
पुष्प पर कुछ पंक्तियाँ यहाँ दी गई हैं :—
फूल तुम कितने प्यारे हो,
सबको अच्छे लगते हो।
रंग-बिरंगे रूप तुम्हारे,
मन को मोहित करते हो।
खुशबू फैलाते हो तुम,
जग को सुंदर बनाते हो।
वीर वह होता है जो प्राणों से परे हो।
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